पृथ्वी पर जब से मानव सभ्यता का विकास हुआ है तब से मानव को अंतरिक्ष को देखकर एक उत्सुकता हुआ है और आज का मानव वैज्ञानिक दृष्टि से आगे बढ़ चुका है तथा ब्रह्माण्ड और खगोल क्षेत्र में नए नए अनुसंधान हो रहे है और इसके परिणाम स्वरुप कॉस्मोग्राफी और कॉस्मोलोजी विज्ञानों का विकास हुआ है, इसी तरह से एस्ट्रोलॉजी और एस्ट्रोनॉमी विज्ञान भी अस्तित्व में आये और आज वैज्ञानिक अनुशंधानो से नए-नए रहस्यों का उद्भेदन भी हो रहा है।
वैज्ञानिक हमेशा से पृथ्वी को जानने की कोशिश करते रहे है तो इसे समझने के लिए 4 प्रश्न हमारे सामने आते है : क्या, कब, कहाँ और कैसे।
इन प्रश्नो के उत्तर के लिए हमें एस्ट्रोनॉमी क्षेत्र में जाना ही पड़ता है।
पृथ्वी क्या है, इसी एक प्रश्न पर हम सभी ग्रहो का और उनके उपग्रहों का और तारों का भी अध्ययन करते है इसीलिए एस्ट्रोनॉमी (खगोल विज्ञान) का गहरा सम्बन्ध भूगोल से है इसीलिए हम इसे भूगोल में भी पढ़ते है।
ब्रह्माण्ड की उत्त्पत्ति और विकास, आकाशगंगा , आकाशीय पिंडो की संरचना, उनका प्रकाश और उनके व्यवहार का अध्ययन खगोल विज्ञान का विषय है।
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अब तक ब्रह्माण्ड के जितने भाग का पता चला है उसमें लगभग 19 अरब आकाश गंगाओं के होने का अनुमान है और प्रत्येक आकाश गंगा में लगभग 10 अरब तारे है।
हमेशा से ही मानव के लिए पत्थरों , जानवरों , पेड़-पौधों, ग्रहों - सितारों और मानवों की उत्पत्ति चिंता का विषय रहा है। फिर भी जो कुछ भी अस्तित्व में है उनमे से सबसे मूल उत्पत्ति ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति है, जिसके बिना ऊपर वर्णित प्राणियों और चीज़ों में से कोई भी नहीं हो सकता है।
ब्रह्माण्ड की संरचना के बारे में अवधारणाएं समय के साथ बदलती रही प्रारम्भ में पृथ्वी को ब्रह्माण्ड का केंद्र माना जाता था लेकिन बाद में कोपरनिकस ने बताया की सूर्य ब्रम्हांड के केंद्र में स्थित है।
Astronomy |
वैज्ञानिक हमेशा से पृथ्वी को जानने की कोशिश करते रहे है तो इसे समझने के लिए 4 प्रश्न हमारे सामने आते है : क्या, कब, कहाँ और कैसे।
इन प्रश्नो के उत्तर के लिए हमें एस्ट्रोनॉमी क्षेत्र में जाना ही पड़ता है।
पृथ्वी क्या है, इसी एक प्रश्न पर हम सभी ग्रहो का और उनके उपग्रहों का और तारों का भी अध्ययन करते है इसीलिए एस्ट्रोनॉमी (खगोल विज्ञान) का गहरा सम्बन्ध भूगोल से है इसीलिए हम इसे भूगोल में भी पढ़ते है।
ब्रह्माण्ड की उत्त्पत्ति और विकास, आकाशगंगा , आकाशीय पिंडो की संरचना, उनका प्रकाश और उनके व्यवहार का अध्ययन खगोल विज्ञान का विषय है।
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अब तक ब्रह्माण्ड के जितने भाग का पता चला है उसमें लगभग 19 अरब आकाश गंगाओं के होने का अनुमान है और प्रत्येक आकाश गंगा में लगभग 10 अरब तारे है।
हमेशा से ही मानव के लिए पत्थरों , जानवरों , पेड़-पौधों, ग्रहों - सितारों और मानवों की उत्पत्ति चिंता का विषय रहा है। फिर भी जो कुछ भी अस्तित्व में है उनमे से सबसे मूल उत्पत्ति ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति है, जिसके बिना ऊपर वर्णित प्राणियों और चीज़ों में से कोई भी नहीं हो सकता है।
ब्रह्माण्ड की संरचना के बारे में अवधारणाएं समय के साथ बदलती रही प्रारम्भ में पृथ्वी को ब्रह्माण्ड का केंद्र माना जाता था लेकिन बाद में कोपरनिकस ने बताया की सूर्य ब्रम्हांड के केंद्र में स्थित है।
(1) Geocentric Theory (भू केन्द्रीय सिद्धांत) : इस सिद्धांत का प्रतिपादन खगोल
शास्त्री क्लाडियस टॉलमि ने 140 ई. में किया जिसके अनुसार पृथ्वी सम्पूर्ण
ब्रह्माण्ड के केंद्र मे स्थित है और सपूर्ण ब्रह्माण्ड उसकी परिकर्मा करता
है । यह मॉडल अनेक प्राचीन सभ्यताओं, जैसे कि प्राचीन ग्रीस, में प्रमुख ब्रह्माण्ड संबंधी प्रणाली के रूप में पेश हुआ।
आकाशीय पिंडों के आंकड़े पुर्तगाली कास्मोग्राफर और मानचित्रकार बर्टोलोमेउ वेल्हो, 1568 (बिब्लिओथीक नेशनल, पेरिस) द्वारा टोलेमिक भू प्रणाली का एक उदाहरण। |
(2) Heliocentric Theory ( सूर्य केंद्रीय सिद्धांत ): पोलैंड के खगोलशास्त्री निकोलस कोपरनिकस ने 1543 में इस सिद्धांत का प्रतिपादन किया था , जिसके अनुसार सूर्य ब्रह्माण्ड के केंद्र में स्थित है और संपूर्ण ब्रह्माण्ड सूर्य का चक्कर लगाते है।
ब्रह्माण्ड एवं ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के सिद्धांत :
ब्रह्माण्ड :
अस्तित्वमान द्रव्य एवं ऊर्जा के सम्मिलित रूप को ब्रह्माण्ड कहते है। दूसरे शब्दों में कहें तो - सूक्ष्मतम अणुओ से लेकर महाकाय आकाशगंगाओ (Galaxies) तक के सम्मिलित रूप को ब्रह्माण्ड कहा जाता है।
ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति :
ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति को लेकर कई सिद्धांत सामने आये महाविस्फोटक सिद्धांत (Big Bang Theory) , स्थिर अवस्था संकल्पना (Steady State Theory ), दोलन सिद्धांत (Pulsating Universe Theory), स्फीति सिद्धांत (Inflation Theory) लेकिन बिग बैंग थ्योरी (महाविस्फोट सिद्धांत ) सबसे ज्यादा प्रचलित हुआ क्योकि यह सिद्धांत ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति का सबसे सटीक वर्णन करता है।
Neutral एटम बनने के बाद प्रकाश को वापस भेजने(redirect) के लिए कोई मुक्त इलेक्ट्रान नहीं थे इसीलिए ये ब्रह्माण्ड पहली बार पारदर्शी (transparent ) बना।
इस सिद्धांत ने जहां ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्यों पर से पर्दा उठाया, वहीं उसके स्वरूप को परिभाषित करने में भी मदद की।
महाविस्फोट के बाद आकाशगंगाओं,सौरमंडल, ग्रहों, उपग्रहों का निर्माण हुआ। इस प्रकार बिग बैंग परिघटना से ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति हुई और तभी से उसमे निरंतर विस्तार जारी है। इसके प्रमाण के रूप में आकाशगंगाओं के बीच की बढ़ती दुरी का साक्ष्य दिया जाता है। NASA ने सन 2001 में MAP (Microwave Anisotrophy Probe) नामक अनुशंधान में इसकी पुष्टि की।
Big Bang Theory (महाविस्फोट सिद्धांत):
बिग बैंग सिद्धांत को बेल्जियम के खगोलज्ञ एवं पादरी जॉर्ज लेमैत्रे ने सन 1920 में प्रतिपादित किया। बिग बैंग सिद्धान्त के अनुसार लगभग 13.7 अरब वर्ष पूर्व ब्रह्मांड सिमटा हुआ केवल कुछ मिलीमीटर के आकर का था, जिसका आयतन अत्यधिक सूक्ष्म एवं तापमान तथा घनत्व अनंत था। उस समय समय और स्थान जैसी कोई वस्तु अस्तित्व में नहीं थी। इसमें हुए एक विस्फोट के कारण इसमें सिमटा हर एक कण फैलता गया जिसके फलस्वरूप ब्रह्माण्ड की रचना हुई। इस धमाके में अत्यधिक ऊर्जा का उत्सजर्न हुआ। यह ऊर्जा इतनी अधिक थी जिसके प्रभाव से आज तक ब्रह्माण्ड फैलता ही जा रहा है। ब्रह्माण्ड अपने शुरुवाती समय में इतना ज्यादा गर्म था की इलेक्ट्रान और प्रोटोन एकसाथ मिलकर Atom(परमाणु) भी नहीं बना सकते थे। लेकिन जैसे जैसे ब्रह्माण्ड फैलता गया इसका तापमान कम होता गया। बिग बैंग के एक सेकंड के बाद तापमान लगभग 10 हजार मिलियन डिग्री गिर चूका था , यह लगभग सूर्य के केंद्र के तापमान का लगभग 10 हजार गुना था।
जब इलेक्ट्रान और प्रोटोन पहली बार मिलकर Electrically Neutral हाइड्रोज़न एटम बने इस समय को epoch of recombination कहते है। Neutral एटम बनने के बाद प्रकाश को वापस भेजने(redirect) के लिए कोई मुक्त इलेक्ट्रान नहीं थे इसीलिए ये ब्रह्माण्ड पहली बार पारदर्शी (transparent ) बना।
इस सिद्धांत ने जहां ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्यों पर से पर्दा उठाया, वहीं उसके स्वरूप को परिभाषित करने में भी मदद की।
बिग बैंग प्रसार |
महाविस्फोट के बाद आकाशगंगाओं,सौरमंडल, ग्रहों, उपग्रहों का निर्माण हुआ। इस प्रकार बिग बैंग परिघटना से ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति हुई और तभी से उसमे निरंतर विस्तार जारी है। इसके प्रमाण के रूप में आकाशगंगाओं के बीच की बढ़ती दुरी का साक्ष्य दिया जाता है। NASA ने सन 2001 में MAP (Microwave Anisotrophy Probe) नामक अनुशंधान में इसकी पुष्टि की।
मन्दाकिनी (Galaxy) :
एक मन्दाकिनी गैस, धूल और अरबों सितारों और सौर प्रणालियों (Solar Systems) का एक विशाल संग्रह है, जिसमे सभी गुरुत्वाकर्षण द्वारा एक दूसरे से बंधे होते है। संस्कृत और कई अन्य हिन्द-आर्य भाषाओँ में हमारी गैलॅक्सी को "आकाशगंगा" कहते हैं।
हव्वल टेलिस्कोप (जो की अंतरिक्ष में स्थापित किया गया है ) द्वारा ली गयी एक खूबसूरत सी तश्वीर जिसमे हजारों गैलेक्सियां दिखाई दे रहीं है। जो की हमें बताता है की ब्रह्माण्ड कितना बड़ा है :
हव्वल टेलिस्कोप (जो की अंतरिक्ष में स्थापित किया गया है ) द्वारा ली गयी एक खूबसूरत सी तश्वीर जिसमे हजारों गैलेक्सियां दिखाई दे रहीं है। जो की हमें बताता है की ब्रह्माण्ड कितना बड़ा है :
खगोलविज्ञानी
गैलेक्सियों को उनके आकार के आधार पर मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित
करते हैं- सर्पिल गैलेक्सी (Spiral Galaxy), दीर्घवृत्तीय गैलेक्सी (Elliptical Galaxy) तथा अनियमितत गैलक्सी (Irregular Galaxy)
आकर के आधार पर गैलेक्सियों का विभाजन |
हम पृथ्वी नामक ग्रह पर रहते है जो हमारे सौर मंडल का हिस्सा है। लेकिन प्रश्न ये उठता है की हमारा सौरमंडल कहा है ? तो हमारा सौर मंडल Milky Way (दुग्धमेखला ) गैलेक्सी का एक छोटा सा हिस्सा है।
हमारी गैलेक्सी का नाम आकाश गंगा या क्षीरमार्ग या दुग्धमेखला है जिसमे हमारा सौरमंडल स्थित है।
आकाशगंगा आकृति में एक सर्पिल (स्पाइरल) गैलेक्सी है, जिसका एक बड़ा केंद्र है और उस से निकलती हुई कई वक्र भुजाएँ। हमारी गैलेक्सी Milky Way के केंद्र में एक Supermassive(अत्यधिक द्रव्यमान वाला ) Black Hole भी है।
अब तक ब्रह्मांड के जितने भाग का पता चला है उसमें लगभग ऐसी ही 19 अरब गैलेक्सीयों के होने का अनुमान है। Big Bang Theory (महाविस्फोट सिद्धांत ) के अनुसार सभी गैलेक्सियाँ एक दूसरे से बहुत तेज़ी से दूर हटती जा रही है। इस बात की पुष्टि एडविन पावेल हबल (Edwin Powell Hubble) ने की।
एडविन हबल के नियम के अनुसार "गैलेक्सियां पृथ्वी से दूर जा रही है और इनकी दूर जाने की गति इनके बीच की दुरी के अनुक्रमानुपाती है", दूसरे शब्दों में कहे तो गैलेक्सियाँ एक दूसरे से जीतनी दूर होंगी उतनी ही तेज़ी से दूर जाएँगी।
मिल्की वे में १०० अरब से ४०० अरब के बीच तारे हैं और अनुमान लगाया जाता है कि लगभग ५० अरब ग्रह के होने की संभावना है। सन् २०११ में होने वाले एक सर्वेक्षण में यह संभावना पायी गई कि इस अनुमान
से अधिक ग्रह हों - इस अध्ययन के अनुसार, मिल्की वे में तारों की संख्या
से दुगने ग्रह हो सकते हैं।
सौरमंडल (Solar Systems) :
वैज्ञानिको के अनुसार, महाविस्फोट के लगभग 10.5 अरब वर्ष पश्चात् यानि आज से 4.5 अरब वर्ष पूर्व सौरमंडल का विकास हुआ।
सौर मंडल में सूर्य और वह खगोलीय पिंड सम्मलित हैं, जो इस मंडल में एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बंधे है। सौर परिवार में सूर्य, ग्रह, उपग्रह, बौने ग्रह, उल्कापिंड, क्षुद्रग्रह (asteroids), धूमकेतु और खगोलीय धूल आते है। सूर्य इसके केंद्र में स्थित एक तारा है , जो सौर परिवार के लिए उर्जा और प्रकाश का स्त्रोत है।
सभी ग्रह, क्षुद्रग्रह, धूमकेतु तथा अन्य उल्का पिंड सूर्य का चक्कर लगते है।
सौर मंडल में सूर्य और वह खगोलीय पिंड सम्मलित हैं, जो इस मंडल में एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बंधे है। सौर परिवार में सूर्य, ग्रह, उपग्रह, बौने ग्रह, उल्कापिंड, क्षुद्रग्रह (asteroids), धूमकेतु और खगोलीय धूल आते है। सूर्य इसके केंद्र में स्थित एक तारा है , जो सौर परिवार के लिए उर्जा और प्रकाश का स्त्रोत है।
सभी ग्रह, क्षुद्रग्रह, धूमकेतु तथा अन्य उल्का पिंड सूर्य का चक्कर लगते है।
सौर मंडल |
हमारे सूरज और उसके ग्रहीय मण्डल को मिलाकर हमारा सौर मण्डल बनता है। हमारे सौरमंडल में 8 ग्रह, 205 ज्ञात उपग्रह, 5 ज्ञात बौने ग्रह तथा अरबों छोटे पिंड शामिल है। इन छोटे पिंडो में छुद्र ग्रह, बर्फीले पिंड, उल्काएं, धूमकेतु तथा ग्रहों के बीच की धूल शामिल है।
हमारे सौरमंडल में 8 ग्रह है : बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, वृहस्पति, शनि, अरुण एवं वरुण।
सन 2006 से पहले तक कुल ग्रहो को संख्या 9 थी लेकिन अगस्त, 2006 में हुए I.A.U. की प्राग सम्मलेन में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसके द्वारा ग्रह की परिभाषा के आधार पर प्लूटो को खगोलविदों ने ग्रहों के परिवार से अलग कर दिया और प्लूटो को बौने ग्रह की श्रेणी में रखा गया, जिससे ग्रहों की संख्या 9 से घटकर 8 रह गयी।
हमारे सौरमंडल में 8 ग्रह है : बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, वृहस्पति, शनि, अरुण एवं वरुण।
सन 2006 से पहले तक कुल ग्रहो को संख्या 9 थी लेकिन अगस्त, 2006 में हुए I.A.U. की प्राग सम्मलेन में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसके द्वारा ग्रह की परिभाषा के आधार पर प्लूटो को खगोलविदों ने ग्रहों के परिवार से अलग कर दिया और प्लूटो को बौने ग्रह की श्रेणी में रखा गया, जिससे ग्रहों की संख्या 9 से घटकर 8 रह गयी।
4 Comments
Bhai kuch black hole k bare me btao
ReplyDeletevery nice
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteGood 👍
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